Tuesday, January 5, 2016

पापा दी ग्रेट..

  • बात साल २०१२ की है,मैं कोटा से मेडिकल की कोचिंग करके घर आया,घर पे बोर्ड की परीक्षा के साथ ही मेडिकल की तयारी भी करनी थी,जैसे तैसे बोर्ड की परीक्षा खत्म हुई ही थी, कि  AIPMT आ गयी.
  • तारीख और सेंटर सब पता चल गया था सेंटर गांव-नरदहा,रायपुर था, मुझे लगा एक तो एग्जाम का इतना प्रेसर
  • अब रायपुर के लिए एक दिन पहले निकलना पड़ेगा फिर ये नरदहा गांव जाना पड़ेगा, मेरा दिमाग चलने लगा
  • मैंने पापाजी से कहा रायपुर के पास जो भाटापारा में आपके पहचान वाले है,उनसे पूछो की ये नरदहा हमारे बिर्रा से बाइक से जा सकते है,मतलब दुरी तो ज्यादा नहीं पड़ेगी वगरह,पापा ने फोन किया रास्ता साफ मिला,
  • फिर हमने तय किया की पेपर वाले दिन सुबह जल्दी उठ के नरदहा के लिए निकल जायेंगे।
  • पेपर का दिन आया सुबह उठ के भगवान से प्रार्थना कर हम नरदहा के लिए बाइक से निकल गए,सफर शुरू
  • हुआ पर खत्म होने के नाम नहीं ले रहा था,9 बजे से पेपर शुरू होना था इधर मैं बहुत घबरा रहा था,क्युकी ये आईडिया मेरा था ,मानने वाले पापा थे, बीच में हम बलौदाबाजार में रुके वहां पता करने पर पता चला की नरदहा रायपुर का ही पार्ट है,और यहाँ से 1 घंटे लग जायेंगे वहां पहुचने में,अब मैं बहुत डर चूका था,आगे क्या होगा कुछ समझ नहीं आ रहा था ,तभी पापा बोलते है बेटा टेंशन मत ले, 9 बजे तक मै पहुंचा दूंगा,फिर जो पापा ने बाइक दौड़ाई ,हम 9 : 10 पे सेंटर पहुंच चुके थे, मैं पापा से आशीर्वाद लेकर पेपर देने अंदर गया,पेपर जैसे तैसे खत्म हुआ,मैं बाहर आया तब तक धुप बहुत बढ़ चुका था,गर्मी भी बहुत थी पापा एक बनते हुए मकान के पास खड़े थे,
  • मैं पापा के पास गया,पापा ने पेपर के बारे में पूछा फिर हम गन्ना रस और चाट खाकर फिर अपने अथाह राह पर निकल पड़ते है,अब फिर मेरे पापा को अथाह दुरी तय करनी थी,मुझे बहुत दुःख हो रहा था,शायद मैं पापा की जगह होता तो,हज़ारों बार गालियां दे चूका होता,और अपने आप को बड़ा थका बता चूका होता पर ये तो पापा थे,तभी तो कहा गया है,हम शारा कर्ज उतार सकते है पर माँ बाप का नहीं,हाँ नहीं कभी नहीं। 
  • पापा ने मुझे बाइक चलाने नहीं दी,रस्ते में साईं बाबा मंदिर के पास प्रसाद और पानी बाँट रहे थे वहा बहुत से पेड़
  • थे जो छाँव दे रहे थे, हम वहा गए और पूड़ी,खीर का प्रसाद ग्रहण कर फिर निकल पड़े.

  • आज भी जब याद करता हूँ,तो मुझे पापा के ऊपर बहुत ही दुःख आता है,कैसे मेरे पापा बिना रिजल्ट की चाह के मेरे लिए चलते गए,चलते गए कभी भी ये नहीं जताया की उन्होंने कितना मेहनत किया।
  • तभी तो है मेरे पापा दी ग्रेट..




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