Wednesday, February 24, 2016

मन्चलि ज़िंदगी...

कभी सुकून मे दखल देती.
कभी खुशियों मे रूलाती.
कभी हँसते हुए चेहरे को मुरझाकर जाती।


कभी जीते जी इंसान को मुर्दा बना.
कभी नींदों से चैन चुरा कर जाती 
कभी भरी हुयी महफ़िल को सुना कर.


शायद मन ही मन मुस्कुराती....ज़िन्दगी 
अपनी ही मन की कर जाती.... ज़िंदगी 
फ़िर भी हमको  बहलाती ......  ज़िंदगी

माफ़ीनामा...

कुछ दिनों पहले मैंने उत्सुकतावश कुछ पोस्ट लिख डाले,किन्तु इन्हे पढ़ने से ऐसा लगता है,कि बहुत जल्दबाजी में ये लिखे गए हैं,जिन्होंने भी पढ़ा उनसे माफ़ी चाहता हूँ,शीर्षक अनुसार ये पोस्ट उतने अच्छे नहीं थे की पढ़ने में मजा आ जाये,अब मैं ध्यान रखूँगा की ऐसी गलती ना हो। 

Saturday, February 13, 2016

भारत फिर से गुलाम हो रहा है ..

हम सबको पता है आज़ादी के लिए जो संघर्ष हुए उनमें ना जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण गंवाए है। कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज़ाद हुआ ये देश आज फिर से गुलाम हो रहा है ,इस बार गुलामी की अँधेरे में जकड़ने वाले अंग्रेज नहीं अपने लोग ही हैं ,जो शायद भटक चुके हैं। अपने ब्यक्तिगत कामनाओ के चक्कर में ये देश विरोधी नारे लगा रहे हैं ,सवाल ये उठता है की किसी और देश के ज़िंदाबाद नारे लगाने से क्या वो देश आपकी समस्या सुलझा देगा जवाब नहीं ,जो देश चोरी छिपे भारत पर आतंकी हमले करता है क्या वही देश भारत की समस्याएं सुलझा देगा ,अगर घर में कोई मतभेद हो तो उसे आपस में बैठ के सुलझा सकते हैं ,ना की पड़ोसी का आसरा लेकर बैठ जाएँ , उनको मुर्ख ही कहेंगे जो ऐसी आसरा लेकर पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये जा रहे हैं ,और उनके समर्थन में एक से बढ़कर एक ज्ञानी के चोले पहने  लोग आ रहे हैं ,जो इसे अभिव्यक्ति  की स्वतंत्रता बताकर उनका समर्थन कर रहे हैं । अब इनसे कोई कहे की मैं कल को अगर इनके माँ बहन का अपमान करते हुए ,नारे लगाऊं तो क्या ये समर्थक इसे भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानकर चुप रहेंगे या मानहानि ठोकेंगे। 

जेनेटिक सही होना ज़रूरी है बबुआ...

कहते हैं कड़ी मेहनत से प्राप्त सफलता का मज़ा ही कुछ और होता है ,पर जिनको ये सफलता विरासत में मिली हो उनको इसे सँभालने में बड़ी तकलीफ होती है। .कुछ तो संभाल लेते हैं पर जो संभाल नहीं पाते वो हंसी के पात्र बन जाते हैं ,बहुत कोशिशों के बाद भी राहुल से ये संभल नहीं पा रहा ,नाना ,दादी ,मम्मी सब को मुफ़्त का मिला समय का फायदा सबने लिया ,पर राहुल अब मैं बताता हूँ कुछ पाने के लिए जेनेटिक का सही होना भी जरुरी है बबुआ। 

भीगी सी रात...

विदेश में घर का मज़ा लेते हुए, हर रोज़ खाना खाते वक्त , मैं तारक मेहता का उल्टा चस्मा ज़रूर देखता हूँ ।
आज़ खाना खाने के बाद  बैठा हुआ पढ़ रहा था,रात के १२  बज चुके थे , सभी सो रहे हैं सबकुछ शांत था, मुझे भी सोने की इच्छा हुई,लाईट बंद कर बिस्तर में जाकर सोने ही वाला था कि एक जानी पहचानी सी मधुर आवाज़ मेरे कानों में सुनाई दी। 

टिप-टिप.... हल्कि बारिश की बूंदों की आवाज़ें शांति के कार्य में बाधा डाल  रही थी ,पर शांति उन्हें सहला रही थी ,मैंने भी सोना छोड़ इस अनुपम रात का आनंद लेना शुरू कर दिया,कांच की खिड़कियों के पार झांकते हुए पेंड़ ,सुनसान के सहचर बन रहे थे ,एक बंद अँधेरे कमरे में सोफे पर बैठे हुए इस अनुभव को उतार रहा हूँ। सड़कें सुनी हो चुकी हैं ,पर उनका अस्तित्व बताने एकाध वाहन  रफ़्तार भरती  निकल जा रही हैं । 

सोने की खोज में जाने वाला  ,आज़ इस शांति का कुछ अलग ही मज़ा ले रहा था । वैसे यूक्रेन तो प्रकृति और शांति प्रिय देश हैं ,यहाँ भारत जैसा कोलाहल नहीं है ,पर ये भारत भी तो नहीं है ,मन कर रहा है बाहर निकल कर इस रात का मज़ा लिया जाए पर संभव नहीं ,बचपन में बारिश होने पर छाता लेकर सैर मारते थे ,यहाँ तो छाता भी नहीं है ,अब बैठ कर कुछ चिंतन मनन का पाठ पढ़ने का मन किया,तो शुरू हो गया ,इस भीगी सी रात का अलग मज़ा लेते हुए। 
आह क्या सुकून है  .... 

सोने की खोज में...

बचपन में पढ़ा था.....
काक चेष्टा, बको ध्यानं,स्वान निद्रा तथैव च अल्पहारी, गृहत्यागी,विद्यार्थी पंच लक्षणं।


कुछ सीखा की नहीं इतना तो नहीं पता लेकिन ,जब भी सोना होता है स्वान की तरह हि होता है। जो किसी सज़ा से कम नहीं है,कोई  नींद के बीच अगर थोड़ा भी आवाज़ कर दे तो मैं बर्दास्त नहीं कर पाता ,तुरंत उठ जाता हूँ दखलनदाजी से गुस्सा भी बहुत आता है पर क्या करें सच तो ये है कुसूर अपना है । कभी कभी तो मुझे सोया हुआ समझकर बोलने वालों का मैं स्टिंग ऑपरेशन कर डालता हूँ ,हाहा  अब कर भी क्या सकतें  हैं । 

बिस्तर में जाकर सोने वाला हि था ,कि दोस्तों कि मटरगस्ती की आवाज़ें कान में मंडराने लग जाती है ,कभी कान में ऊँगली डालता हूँ तो कभी बिस्तर से मुंडी दबाने की कोशिश लेकिन बावजूद नींद पास ही नहीं आती । अब तो ये सिलसिला और बढ़ने लगा है ,क्या करें विद्यार्थी जीवन का आनंद तो उठाना ही पड़ेगा फिर चाहे जैसा भी हो । 

सोने की खोज बढ़ती हुई ,इंटरनेट चली जाती है ,और कई सहारे ढूंढ लेती है ,घूमने वाले पंखे की आवाज़ ,झरने,बादल बारिश आप जिससे सुकून लें युट्यूब देवता सब हाज़िर करते हैं । इस खोज का उपयोग कर्णश्रवण यन्त्र (इयरफोन) से करते हुए ,थोड़ा सुकून और सोना तो  मिल जाता है ,पर शांति में जो बात है वो इसमें कहाँ,,,सोने की खोज चलती ही जाती है ,और चलती रहेगी शायद तब तक जब तक मंज़िल ना मिल जाये   ... 

Saturday, February 6, 2016

बात ज़रा हट के ...

जब भी हम अपने विचार किसी सामाजिक साइटों में लगातें हैं ,तो प्रतिक्रिया,कमेन्ट या पसंद करने वालों का इंतज़ार भी होता है , कि भई लोगों तक बात पहुंचे और विचारों का आदान प्रदान हो,और होता भी है,कुछ लोगों  तक हमारी बात पहुँच जाती है । ये बात तो अपनी हो गयी लेकिन जब वही विचार एक लड़की या स्त्री वर्ग साझा करे तो लोगों के विचार देश दुनिया की सीमा लाँघकर कइयों के हृदय तक पहुँच जाती है।
ये बात स्त्री वर्ग को बुरी लगेगी किन्तु मैं खुद जानता हूँ , इसमें उनका कोई दोष नहीं , ये तो सिर्फ एक विचार ही है । लोगों की सोच ही अलग है इसे बदल तो नहीं सकते ,इसलिए विचार ही रख सकते हैं ।

Thursday, February 4, 2016

सुबह सबेरे..

आने वाली हर मुसीबतों  से  हर हाल  में  लड़ना    होगा ,
कुछ करना है अगर ज़िन्दगी में तो सुबह उठना ही होगा । 

माता-पिता ,गुरु सबने हमें बचपन से ही  सुबह सुबह उठने के सलाह दिया ,पर समझ अब आ रहा है कि वे ऐसा क्यों कहते थे ,क्योंकि उनका अनुभव हमसे ज्यादा था ।अब हमारे अनुभव के दिन है ,सुबह उठो तो दिनभर उत्साह बना रहता है , नकारात्मकता नहीं रहती ,और पूरा दिन मिलता है कुछ करने के लिए । मुझसे तो सुबह उठा ही नहीं जाता था  ,पर जब से कोशिश शुरू की है तब से कुछ ज्यादा सकारात्मक महसूस करता हूँ । अगर आप विद्यार्थी हैं ,तो उठये  और अपनी ज़िन्दगी जी लीजिये क्योकि कुछ करना है अगर ज़िन्दगी में तो सुबह उठना ही होगा ।