Saturday, February 13, 2016

भीगी सी रात...

विदेश में घर का मज़ा लेते हुए, हर रोज़ खाना खाते वक्त , मैं तारक मेहता का उल्टा चस्मा ज़रूर देखता हूँ ।
आज़ खाना खाने के बाद  बैठा हुआ पढ़ रहा था,रात के १२  बज चुके थे , सभी सो रहे हैं सबकुछ शांत था, मुझे भी सोने की इच्छा हुई,लाईट बंद कर बिस्तर में जाकर सोने ही वाला था कि एक जानी पहचानी सी मधुर आवाज़ मेरे कानों में सुनाई दी। 

टिप-टिप.... हल्कि बारिश की बूंदों की आवाज़ें शांति के कार्य में बाधा डाल  रही थी ,पर शांति उन्हें सहला रही थी ,मैंने भी सोना छोड़ इस अनुपम रात का आनंद लेना शुरू कर दिया,कांच की खिड़कियों के पार झांकते हुए पेंड़ ,सुनसान के सहचर बन रहे थे ,एक बंद अँधेरे कमरे में सोफे पर बैठे हुए इस अनुभव को उतार रहा हूँ। सड़कें सुनी हो चुकी हैं ,पर उनका अस्तित्व बताने एकाध वाहन  रफ़्तार भरती  निकल जा रही हैं । 

सोने की खोज में जाने वाला  ,आज़ इस शांति का कुछ अलग ही मज़ा ले रहा था । वैसे यूक्रेन तो प्रकृति और शांति प्रिय देश हैं ,यहाँ भारत जैसा कोलाहल नहीं है ,पर ये भारत भी तो नहीं है ,मन कर रहा है बाहर निकल कर इस रात का मज़ा लिया जाए पर संभव नहीं ,बचपन में बारिश होने पर छाता लेकर सैर मारते थे ,यहाँ तो छाता भी नहीं है ,अब बैठ कर कुछ चिंतन मनन का पाठ पढ़ने का मन किया,तो शुरू हो गया ,इस भीगी सी रात का अलग मज़ा लेते हुए। 
आह क्या सुकून है  .... 

No comments:

Post a Comment