Saturday, January 16, 2016

दुनिया गोल है...

दुनिया गोल है,कहीं रात शुरू होती है तो कहीं यही रात ख़त्म होकर सबेरा लाती होती है । 
कुछ सालों पहले की बात है ,मैं पासपोर्ट ऑफिस रायपुर गया हुआ था। अंदर वेटिंग में बैठा था,वहीं एक फैमिली भी वेटिंग में थी। जिनमे मेरी ही उम्र के लगभग के एक भाई भी थे,हममे बातचीत चालू हुयी ,तब उन्होंने बताया कि उनकी पूरी फैमिली USA जा रही है। अब वो वहीँ रहेंगे जॉब भी मिल गया है,पापा को भी मुझे भी। फ़िलहाल  बिलासपुर में रहते है,वैसे रहने वाले गुज़रात के हैं। 
मैंने भी अपने बारे रुचित भाई को बताया,1 -2 घंटे की मुलाकात में हम दोस्त बन गए थे । घर पहुँचने पर मैंने बातो हि बातो में ये बात निकाली ,मेरा छोटा भाई भी था,उसने पूछा क्या नाम बताया,मैंने कहा रुचित पटेल,भाई बोला कि ये तो मेरे ही कॉलेज में था । फेसबुक पर मैंने रुचित भाई को बताया,मेरा भाई भी आपके साथ पढ़ा है,तब हमारी और पहचान होते गयी। अब फेसबुक पर कभी कभी उनसे बात होती रहती थी । मैं भी अब यूक्रेन आ गया था ,अभी परसों ही रुचित भाई का मैसेज आया,बोले कब फ्री हो वीडियो चैट करते हैं । मैंने भी कहा फ्री ही हैं ,आप जब बोलो फिर लैपटॉप खोल कर शुरू हो गए,मैंने रुचित भाई से परिवार के बारे में पूछा ,बातें हो रही थी रुचित भाई ने गर्ल फ्रेंड के बारे में जिज्ञासा से पूछना चाहा,मैंने भी उनको मनोवैज्ञानिक तरीके से झूट बोल दिया कि हम तो यहाँ कइयों को घुमा रहे हैं । रुचित भाई ने पूछा क्या टाइम हो रहा है वहां मैंने बोला यहाँ शाम के 6 बज (यूरोपियन टाइम) रहे हैं। वो हँसते हुए बताते हैं,यहाँ सुबह के 10 बज रहे हैं,और कुछ देर बाद जॉब और कॉलेज का टाइम हो जायेगा,तैयार होने वाले हैं ,मुझे वहां भारतीय लोग और खाने के बारे में पूछना था ,तो पूछ लिया रुचित भाई ने बताया ,यहाँ बहुत भारतीय हैं ,सारे जरुरत की इंडियन चीजें मिल जाती है । आधे घंटे तक बात हुयी,फिर मुझे घर भी फोन करना था ,रोज़ घर पर बात न करो तो अच्छा नहीं लगता,मुझे भी और घर वालों को भी ,तो मैंने रुचित भाई को बाय बाय कहा । पर मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि जहाँ यहाँ रात होने वाली थी , तो वहां दिन की शुरुवात हो रही थी । 

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