Tuesday, March 1, 2016

विदेशी कन्हैया....

भारत की संस्कृति और हिंदु  धर्म अदभुत है,कोई शंका नहिं कि किसी हिंदु  को हिंदु  होने का गर्व ना हो,हिंदु  धर्म सभी धर्मों का आदर करता चला आ रहा है ।इसकी खासियत  है कि ये किसी अन्य धर्म के मानने वाले को कभी अपने में समाहित करने कि कोशिशे  नहिं करता ,लोग अनायास हि इसकी ओर आकर्षित हो जाते हैं । 

ईसाई और मुसलमानों के बहुल देश में भी हिंदुत्व अपना झंडा लहरा रहा है, यूक्रेन के सभी प्रमुख नगरों में इस्कॉन और ब्रम्हाकुमारीयों के प्रयास द्वारा श्री बांकेबिहारी कृष्ण भगवान का मंदिर स्थापित हुआ हैं। एक ऐसे संस्कृति को मानने वाले जिसका और भारत का कोई मेल ही नहीं बनता वे आज हरे कृष्ण ... हरे कृष्णा के धुन पर झूमते रहते हैं। 
परिसर में बच्चे और लोग 
पुस्तक और अन्य सामान 

शुध्द भारतीय पोशाक अर्थात धोती कुरता और साड़ी में स्त्री पुरुष हरे कृष्णा या नमस्ते कहकर दर्शनार्थियों  का स्वागत करते हैं । दो मंज़िल के घर को मंदिर का स्वरुप दिया गया हैं,जहाँ पहली मंज़िल यानि भूतल में प्रसाधन और पुस्तक (जिसमें श्लोक हिंदी और रशियन में होते हैं जिसका अनुवाद रशियन में होता है),अगरबत्ती ,घी आदि की दुकान हैं,जूते और जैकेट रखने के लिए टोकन प्रणाली का प्रयोग होता है । ऊपर की तरफ बढ़ने पर सीढ़ियों के पास दिवार में स्वामी प्रभुपाद का बड़ा सा चित्र लगा हुआ है,स्वामी प्रभुपाद इस्कॉन के संस्थापक हैं जिनका यहाँ के आस्थावान भगवन की  करते हैं । आगे बढ़ने पर श्री राधेकृष्णा जी के दर्शन होते हैं । 
कुछ लोग हारमोनियम,मंजीरा और ढोल का राग लेते हुए कीर्तन कर रहे है,
आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण होता है ,जिसमे चावल,पतली दाल या सूप कहे और कुछ ब्रेड के जैसा होता है,पिने के लिए जूस छोटी डिस्पोजल की गिलास में दिया जाता है । 
श्रीराधेकृष्ण 

अपनी मातृभूमि अपने देश से इतना दूर होते हुए यहाँ आने से बड़ी मानसिक सुखानुभूति हुई ,यहाँ के लोगों का उत्साह देखते बनता है,कई लोग मुंडन करा लिटी,चोंटी रखे हुए भी होते हैं,लोगों का आना  ही रहता है,हम जब गए तब तक आरती और प्रसाद का वितरण हो गया था ,लोग प्रसाद ग्रहण में लगे हुए थे,यहाँ समय समय पर दीक्षा,संस्कार का आयोजन भी होता है।  
                     
कीर्तन  में अवस्य  आइयेगा शाम ४ से ७ 
                                     

                                              ॥  जय श्रीकृष्णा ॥  


Wednesday, February 24, 2016

मन्चलि ज़िंदगी...

कभी सुकून मे दखल देती.
कभी खुशियों मे रूलाती.
कभी हँसते हुए चेहरे को मुरझाकर जाती।


कभी जीते जी इंसान को मुर्दा बना.
कभी नींदों से चैन चुरा कर जाती 
कभी भरी हुयी महफ़िल को सुना कर.


शायद मन ही मन मुस्कुराती....ज़िन्दगी 
अपनी ही मन की कर जाती.... ज़िंदगी 
फ़िर भी हमको  बहलाती ......  ज़िंदगी

माफ़ीनामा...

कुछ दिनों पहले मैंने उत्सुकतावश कुछ पोस्ट लिख डाले,किन्तु इन्हे पढ़ने से ऐसा लगता है,कि बहुत जल्दबाजी में ये लिखे गए हैं,जिन्होंने भी पढ़ा उनसे माफ़ी चाहता हूँ,शीर्षक अनुसार ये पोस्ट उतने अच्छे नहीं थे की पढ़ने में मजा आ जाये,अब मैं ध्यान रखूँगा की ऐसी गलती ना हो। 

Saturday, February 13, 2016

भारत फिर से गुलाम हो रहा है ..

हम सबको पता है आज़ादी के लिए जो संघर्ष हुए उनमें ना जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण गंवाए है। कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज़ाद हुआ ये देश आज फिर से गुलाम हो रहा है ,इस बार गुलामी की अँधेरे में जकड़ने वाले अंग्रेज नहीं अपने लोग ही हैं ,जो शायद भटक चुके हैं। अपने ब्यक्तिगत कामनाओ के चक्कर में ये देश विरोधी नारे लगा रहे हैं ,सवाल ये उठता है की किसी और देश के ज़िंदाबाद नारे लगाने से क्या वो देश आपकी समस्या सुलझा देगा जवाब नहीं ,जो देश चोरी छिपे भारत पर आतंकी हमले करता है क्या वही देश भारत की समस्याएं सुलझा देगा ,अगर घर में कोई मतभेद हो तो उसे आपस में बैठ के सुलझा सकते हैं ,ना की पड़ोसी का आसरा लेकर बैठ जाएँ , उनको मुर्ख ही कहेंगे जो ऐसी आसरा लेकर पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लगाये जा रहे हैं ,और उनके समर्थन में एक से बढ़कर एक ज्ञानी के चोले पहने  लोग आ रहे हैं ,जो इसे अभिव्यक्ति  की स्वतंत्रता बताकर उनका समर्थन कर रहे हैं । अब इनसे कोई कहे की मैं कल को अगर इनके माँ बहन का अपमान करते हुए ,नारे लगाऊं तो क्या ये समर्थक इसे भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानकर चुप रहेंगे या मानहानि ठोकेंगे।